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लैंड पुलिंग स्कीम के खिलाफ किसानों का हल्ला बोल: उज्जैन में 16 सितंबर को किसान निकालेंगे ट्रैक्टर रैली, 17 गांवों के किसान होंगे शामिल; 18 सितंबर को इंदौर में भी किसान करेंगे आंदोलन!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
सिंहस्थ 2028 की तैयारियों के बीच किसानों का विरोध तेज हो गया है। मंगलवार 16 सितंबर को भारतीय किसान संघ, उज्जैन मालवा प्रांत के बैनर तले हजारों किसान ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। रैली का मकसद कृषि भूमि के स्थायी अधिग्रहण पर रोक और लैंड पुलिंग स्कीम सहित 15 सूत्रीय मांगों को सरकार तक पहुंचाना है।
किसान संघ का दावा है कि इस रैली में करीब 10 हजार किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ शामिल होंगे, जिससे शहर में बड़ा जनसमूह उमड़ सकता है। प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनज़र तैयारियां शुरू कर दी हैं।
रैली का रूट और कार्यक्रम
रैली सुबह 11 बजे सामाजिक न्याय परिसर से शुरू होगी। यह आगर रोड, चामुंडा माता चौराहा और तरणताल होते हुए कोठी क्षेत्र स्थित कलेक्टर कार्यालय तक जाएगी। वहां सभा आयोजित होगी और किसान अपनी 15 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन प्रशासन को सौंपेंगे।
17 गांवों के किसान शामिल
सिंहस्थ क्षेत्र से जुड़े 17 गांवों के किसान, महिलाएं और पुरुष बड़ी संख्या में भाग लेंगे। भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र, प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना और प्रांत मंत्री भरत सिंह बेस भी रैली का नेतृत्व करेंगे।
संघ पदाधिकारियों का कहना है कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो गांव और शहर में दूध व सब्जी की सप्लाई रोक दी जाएगी।
लैंड पुलिंग स्कीम क्या है?
सिंहस्थ 2028 के लिए लागू की गई लैंड पुलिंग स्कीम के तहत किसानों की भूमि का हिस्सा विकास कार्यों के लिए लिया जाएगा। इमेज में बताए गए प्रावधानों के मुताबिक:
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50% भूमि किसान/भूस्वामी के पास रहेगी
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25% भूमि पर रोड, स्ट्रीट लाइट, ड्रेनेज, सीवर, वाटर लाइन और विद्युत लाइन जैसी आधारभूत सुविधाएँ बनाई जाएँगी
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5% भूमि पर पार्क, जिम, वॉकिंग पाथ और प्लांटेशन होगा
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5% भूमि पर सार्वजनिक सुविधाएँ जैसे अस्पताल, स्कूल, बिजली सब-स्टेशन और जनसुविधा केंद्र बनाए जाएँगे
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15% भूमि पर सिंहस्थ से जुड़े कार्य किए जाएंगे
किसानों का आरोप है कि इस योजना में उन्हें उनकी ही जमीन से वंचित किया जा रहा है और मुआवजा भी बाजार भाव से बहुत कम दिया जा रहा है।
किसानों की प्रमुख मांगें
किसान संघ ने 15 सूत्रीय मांगें रखी हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
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सिंहस्थ क्षेत्र से लैंड पुलिंग स्कीम पूरी तरह समाप्त की जाए।
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अधिग्रहित भूमि का मुआवजा 2012 की गाइडलाइन के आधार पर चार गुना दिया जाए।
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सोयाबीन का उचित मूल्य तय कर 6000 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदी हो।
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नर्मदा पाइपलाइन और अन्य जलस्रोतों से सूखाग्रस्त क्षेत्रों में सिंचाई व्यवस्था बढ़ाई जाए।
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आवारा पशुओं से फसल बचाने के लिए ठोस योजना बने।
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प्रधानमंत्री फसल बीमा क्लेम में सैटेलाइट सर्वे की जगह क्रॉस कटिंग पद्धति अपनाई जाए।
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जावरा-उज्जैन रोड और इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड परियोजनाओं में अनावश्यक जमीन अधिग्रहण न किया जाए।
18 सितंबर को इंदौर में आंदोलन
किसान संघ ने साफ कर दिया है कि यह आंदोलन सिर्फ उज्जैन तक सीमित नहीं रहेगा। 18 सितंबर को इंदौर में भी बड़ी किसान रैली होगी। इसमें उज्जैन और इंदौर की करीब एक लाख बीघा जमीन से जुड़े मुद्दों को लेकर चर्चा और विरोध किया जाएगा।
सिंहस्थ 2028 को लेकर तैयारियां जहां प्रशासन की प्राथमिकता बनी हुई हैं, वहीं किसानों के लिए यह अस्तित्व और आजीविका का सवाल बन गई हैं। अब देखना यह होगा कि ट्रैक्टर रैली और आगामी प्रदर्शनों के बाद सरकार किसानों की मांगों पर कितना संवेदनशील रुख अपनाती है।